देश के भीतर एक ऐसा माहौल है, जिसमें लेखकों को लगने लगा है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाई जा रही है. साहित्यकारों की लंबी फेहरिस्त है जिन्होंने सरकार की विफलता के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिए गए.