aajtak.in से बात करते हुए वो कहते हैं कि जब भी अभिव्यक्ति पर खतरे की बात आती है तो मुझे इमरजेंसी का ही ख्याल आता है. आज के वक्त में जो लोग ऐसी बात करते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि आज की स्थिति बदल चुकी है. समस्या दूसरी है. विचारकों को चाहिए कि वो केवल समस्याएं न बताएं, उपय भी बताएं. केवल समस्याओं के बारे में बात करने से कोई हल नहीं निकलने वाला.
Harivansh says emergency in india was epitome of curtailment of individual freedom