राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का मानना है कि संविधान निर्माताओं ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कामों में साफ-साफ बटवारा किया है. कोई घालमेल है ही नहीं. वो कहते हैं कि तीनों संस्थाओं के अपने दायरे हैं, सबका अपना महत्व है और यह सबका दायित्व है कि वो एक दूसरे के महत्व का ख्याल रखें. मैं संसद में हूं तो मेरा ये दायित्व है कि मैं न्यायपालिका के सम्मान का ख्याल रखूं. इसी तरह से न्यापालिका का दयित्व है कि वो देश की संसद की गरिमा का ख्याल रखे. ये तीनों संस्थाएं देश चलाती हैं. अगर इनके रिश्ते नाजुक होंगे तो देश की सेहत पर इसका सही असर नहीं पड़ेगा.
Deputy Chairman of RS Harivansh says discord between three pillars of democracy is not healthy