सड़क हो या सिनेमाघर, बाजार हो या दफ्तर कुछ नजरें आपका हर वक्त आपका पीछा करती हैं औऱ तबतक जबतक आप ओझल नहीं हो जाते. ये पलट पलट कर, लड़कियों को मुड़ मुड़कर देखने वाली नजरें कभी हार नहीं मानतीं. एक गई फिर दूसरी पर टिक जाती हैं ये घूर घूर कर देखनेवाली नजरें.