समलैंगिकता मामले में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केद्र से कहा है कि वह 8 हफ्ते के भीतर अपना पक्ष रखे. क्या धारा 377 को बनाए रखना चाहिए?