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कहीं पड़ रहा सूखा तो कहीं फटे बादल

कहीं पड़ रहा सूखा तो कहीं फटे बादल

दुनियभर में कुदरत का तांडव जारी है. कहीं तूफान ने तबाही मचा रखी है, कहीं धरती धंस रही है, कहीं बादल फट रहे हैं तो कही अकाल का संकट मंडरा रहा है. हर तरफ आफत ही आफत है. आखिर चारो ओर क्यों टूट रहा है, कुदरत का क़हर. जानकारों की मानें, तो इसकी वजह कहीं ना कहीं इंसान भी है.

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