आखिर भूकंप आ ही गया. मैं सोच रहा था कि यह भूकंप आया कैसे? क्योंकि धमकी तो बहुत पहले सुनी थी. कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ गई होगी. जब कोई SCAM में भी सेवा का भाव देखता है. स्कैम में भी नम्रता का भाव देखता है, तो मां नहीं धरती मां भी दुखी हो जाती है. तब जाकर भूकंप आता है. हर युग में इतिहास को जानने-जीने का प्रयास जरूरी है. इस समय हम थे या नहीं थे, हमारे कुत्ते भी थे या नहीं थे. औरों के कुत्ते हो सकते हैं. हम कुत्तों वाली परंपरा से पले-बढ़े नहीं हैं. देश के कोटि कोटि लोग तब भी थे जब कांग्रेस का जन्म भी नहीं हुआ था. 1857 के स्वंत्रता संग्राम को लोगों ने जान की बाजी लगाकर और मिलकर लड़ा था. तब भी कमल था, आज भी कमल है.