आजादी के बाद से आजतक जैसे-जैसे हिन्दुस्तान की तस्वीर बदली सिल्वर स्क्रीन ने भी खुद को बदला है. राष्ट्रवादी बयार के साथ ही हिन्दी सिनेमा ने खुद को नए रूप रंग में ढाल है. हर दशक में सिनेमा ने राष्ट्रवाद को नई उड़ान दी है. स्वतंत्रता संग्राम हो या भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध या फिर चीन जैसे धूर्त पड़ोसी का विश्वासघात. आतंकवाद से लेकर अलगाववाद तक. हर चित्र को संजीगदी के साथ भारतीय सिनेमा ने पेश किया है. इस वीडियो में देखें राष्ट्रवादी फिल्मों की रोचक कहानीयां.