अंग्रेजी के जाने-माने लेखक और ज्ञानपीठ पुस्कार से सम्मानित उपन्यासकार अमिताव घोष ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी किताब दि हंग्री टाइड के बारे में बताते हुए कहा कि एक बार वो दिल्ली में कॉलेज से लौट रहे थे तभी एक बवंडर आ गया, तब मैने एक पेड़ की आड़ में शरण ली. लेकिन आज के दौर में अगर कोई बवंडर आ जाए तो मेरे लिए शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं होगी. अमितव घोष ने कहा कि भयंकर सूखा, कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या आज के दौर में हो रहा है. ये भविष्य की बात नहीं है. अगर जलवायु परिवर्तन की चुनौती से हम आज नहीं निपटेंगे तो हालात और भी बुरे होंगे. अगर मुंबई में बड़ा तूफान आया तो आर्थिक राजधानी का क्या होगा? इसे लेकर कोई प्लानिंग नहीं है.