अजमल कसाब की फांसी पर समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि इससे न्याय व्यवस्था पर विश्वास तो बढ़ा है लेकिन सरकार ने फांसी देने में देर की. अन्ना के अंदर के क्रांतिकारी ने हालांकि कसाब को चौराहे पर फांसी दिए जाने की वकालत की. उन्होंने कहा, ‘कानून और संविधान के कारण ये नहीं कर सकते हैं लेकिन, मेरा ये सुझाव था कि कसाब को चौराहे पर फांसी देनी चाहिए थी.’