केदारनाथ एक साल बाद..आप और हम तो बस उन तस्वीरों को देखकर हिल गए थे. लेकिन जिन लोगों ने उस त्रासदी को अपने ऊपर सहा है, बर्दाश्त किया है उनके दुख और दर्द की कोई सीमा नहीं है. जरा उनके बारे में सोचिए जिन्हें अपनों का इंतजार है.