अरविंद केजरीवाल की खांसी उनकी पहचान बन चुकी है. उन की मिमक्री करने वाले कलाकार सिर्फ खांस कर लोगों को केजरीवाल की याद दिला देते हैं. अब यह ट्रेडमार्क खांसी गायब हो चुकी है. केजरीवाल ने बंगलुरु में एक कार्यक्रम में न सिर्फ गाना गया बल्कि लंबी बातें भी की वो भी बिना खांसे.