एक सपना जो टूट गया. एक आंदोलन जो बिखर गया। एक क्रांति जो अधूरी रह गई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सात साल पहले भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के उस आंदोलन के रथ पर सवार थे, जो नैतिकता का पंख लगाए जमीन से बित्ता भर ऊपर चल रहा था. लेकिन आंदोलन राजनीति में बदला, राजनीति सत्ता में बदली और सत्ता ने केजरीवाल को उस मोड़ पर खड़ा कर दिया है जहां सारे आदर्श दरकते नजर आ रहे हैं.