लालकृष्ण आडवाणी ने अपने कंधों पर बीजेपी को खड़ा किया था और आज वही आडवाणी पार्टी में हासिए पर हैं. आडवाणी का दिल और उनका कद यह सब स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिखता. इसलिए मोदी को चुनावी रथ की कमान सौंपे जाने पर आडवाणी इतने आहत हुए कि इस्तीफा दे दिया.