1 मई का दिन मज़दूरों के संघर्ष का प्रतीक माना जाता है. सन 1886 की बात हैतारीख 1 मई थी. अमेरिका के शिकागो में मजदूर आंदोलन कर रहे थे. आंदोलन दबाने के लिए पुलिस ने फायरिंग की थी, जिसमें कुछ मजदूर मारे भी गए थे. इसके बाद ये प्रदर्शन बढ़ता चला गया था और तभी से 1 मई को उन मारे गए मजदूरों की याद में मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा. आज 2020 में फिर 1 मई आई है. इस साल मजदूर दिवस ऐसे वक्त पर आया है, जब देश के लाखों मजदूर संकट में हैं. कोरोना वायरस की वजह से देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है, और आज इसे 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. बहुत सारे मज़दूर अब भी फंसे हुए हैं. जबकि बहुत से मज़दूर ऐसे भी है जो अपने अपने गांव में पहुंच गए हैं और उनका सहारा है मनरेगा.