मोदी सरकार के दो साल के जश्न जारी है. पहले इंडिया गेट पर मोदी ने दो साल का हिसाब दिया तो कर्नाटक के दावणगेरे में भी उन्होंने देश को बिचौलिया मुक्त करने की बात कही. सबसे बड़ी बहस जो उठी है कि एक ओर विकासवाद है तो दूसरी ओर सिर्फ विरोधवाद. आखिर क्या है विकासवाद और विरोधवाद की जमीनी हकीकत?