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आज मुजफ्फरनगर सवाल कर रहा है, ध्‍यान से सुनो...

आज मुजफ्फरनगर सवाल कर रहा है, ध्‍यान से सुनो...

बताओ मुझे किसने क्या किया है. कौन गुजरा है अपने कदमों में कील बांधकर मेरी छाती को कुचलते हुए. धड़कनों को बेधते हुए. बताओ कि फौजी बूटों का ये कदम ताल क्यों है. क्यों आई हैं ये बख्तरबंद गाड़ियां, क्यों तनी हुई हैं संगीनें, क्यों है धुएं का साया. मुझे सब ठीक-ठीक बताओ आज. मैं मुजफ्फरनगर बोल रहा हूं.

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