दो साल पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में 4 जून की ही आधी रात को रामदेव के अनशन पर लाठीचार्ज का प्रहार हुआ था और रामदेव महिलाओं के लिबास में भागने को मजबूर हुए थे. रामदेव न वो प्रहार भूले हैं और न ही प्रहार के अपमान का वो दंश. लेकिन अब रामदेव को नरेंद्र मोदी में वो करिश्मा नजर आने लगा है, जो उनके दिल में जल रही अपमान की ज्वाला को शांत कर सकते हैं.