रामनाथ कोविंद के नाम राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के साथ ही ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी का मिशन 2019 शुरू हो चुका है. एक तरफ कई क्षेत्रीय दल कमजोर हो रहे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी उन दलों के वोटबैंक को अपने पास करने के लिए कोशिशें कर रही है. कोविंद के नाम को आगे करना भी, दलितों को अपने साथ लाने का ही प्रयास है. इन्हीं मसलों पर देखिए aajtak.in एडिटर पाणिनि आनंद का खास विश्लेषण...