चैत्र के नवरात्र चल रहे हैं और जैसा कि हर पर्व त्योहार के दौरान शाकाहार-मांसाहार को लेकर एक बहस छिड़ जाती है. कोई उसे धर्म से जोड़ने लगता है तो कोई उसे निजी पंसद से जोड़ कर देखता है. इन दिनों कैसे खाने की तमाम चीजों पर अल्प विराम, पूर्ण विराम और कौमा लगने लगता है. Aajtak.in के डिप्टी एडिटर पाणिनी आनंद इसी मसले पर बात कर रहे हैं कि कैसे इन दिनों नियम, धर्म, संस्कार, संस्कृति और परंपरा के साथ-साथ व्रत की बात होने लगती है. चर्चा सुनें कि कैसे लोग भोजन को धर्म और आस्था से जोड़ देते हैं? इच्छा और लादी हुई चीजों और बातों का क्या अर्थ है?