दंतेवाड़ा में हुए नकस्ली हमले की साजिश इतनी पक्की थी कि सीआरपीएफ की टुकड़ी को संभलने का भी मौका नहीं मिला. घेराबंदी इतनी जबरदस्त थी कि मुठभेड़ 7 घंटे तक चली लेकिन जवानों की मदद के लिए कोई नहीं पहुंच पाया.