दिल्ली में एक बेबस पिता अपने नवजात जुड़वा बच्चों के साथ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकता रहा. बच्चों को फौरन वेंटिलेटर की ज़रूरत थी, लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों के लिए तैयार हो रही दिल्ली के किसी भी बड़े अस्पताल में ना तो दो नवजात बच्चों के लिए जगह थी और ना ही डॉक्टरों के दिल में कोई हमदर्दी.