वो झुंड में आते हैं औऱ गांव का गांव तबाह कर जाते हैं. क्या कच्चे मकान, क्या पक्के मकान. उनके कदमों तले कुचले जाने के बाद किसी का वजूद नहीं बचता. उनके आतंक का आलम ये है कई गांवों के लोगों ने घरबार छोड़कर कैंप में रहना शुरु कर दिया है.