13 दिसंबर 2001. यही वो तारीख थी जब आतंक संसद की दहलीज़ तक जा पहुंचा था. यूं तो संसद में सफेद अंबेस्डर कारों के आने-जाने पर कोई गौर नहीं करता. लेकिन उस दिन एक कार ने कोहराम मचा दिया था. लोकतंत्र के मंदिर को गोलियों से छलनी करने पहुंचे थे पांच आतंकवादी. तो चलिए आज एक बार फिर नए सिरे से याद करते हैं दस साल पहले के उस खौफनाक पल को. दस साल पहले हुए हिंदुस्तान पर सबसे ब़ड़े हमले को.