हम आधुनिक युग में रहते हैं. आधुनिक सोच की बातें करते हैं. पर अपने ही देश में आस्था के नाम पर जो खूनी खेल खेला गया उसे देखकर आप भी ये बोल उठेंगे कि कहीं ये पाषाण युग तो नहीं.