लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता की कुछ पंक्तियां भी सुनाईं. वो पंक्तियां कुछ इस तरह से थीं...जब कभी झूठ की बस्ती में, सच को तड़पते देखा है तब मैंने अपने भीतर किसी, बच्चे को सिसकते देखा हैअपने घर की चारदिवारी में, अब लिहाफ में भी सिहरन होती है जिस दिन से किसी को ग़ुर्बत में, सड़कों पर ठिठुरते देखा है
Today, Prime Minister Narendra Modi quoted a poem to target the Congress in Parliament. He said, Jab kabhi jhuth ki basti mein, sach ko tadapte dekha hai, Tab maine apne bhitar kisi, bachche ko sisakte dekha hai, Apne ghar ki chardiwari mein, ab lihaf mein bhi sihran hoti hai, Jis din se kisi ko gurbat mein, sadkon par thithurte dekha hai.