जनता के नुमाइंदे शाही जीवन जीएं तो उसकी आलोचना वाजिब है, लेकिन कोई सादगी अपनाना चाहे और उस पर लोग उंगली उठाएं तो इसे सियासत के सिवा और क्या कहेंगे। देश में इन दिनों यही हो रहा है सादगी पर सियासत.