जाने माने अर्थशास्त्री नौरेल रुबीनी जब इंडिया टुडे कॉनक्लेव में भाषण देने के लिए खड़े हुए तो हॉल में सन्नाटा छा गया. लोगों के कान खड़े हो गए. हर सुनने वाला ये जानना चाहता था कि आंकड़ों के आकलन का यह जादूगर क्या आर्थिक मंदी के बादल छंटने का संदेश सुनाएगा, लेकिन रुबीनी के पास बुरी खबर ज्यादा थी और अच्छी कम.