26 मई 2014 की तारीख वर्तमान में भी एक इतिहास है. ये तारीख नहीं एक युग की शुरुआत है. ये तारीख मंजिल भी है और सफर भी. मंजिल सपनों की और सफर संघर्ष का. नरेंद्र मोदी के नाम के आगे प्रधानमंत्री लग गया है लेकिन उनके उस सफर को कोई कैसे भूल सकता है जो उन्होंने चाय की दुकान से यहां तक किया है.