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जब भारत की सिर्फ एक गलती से पाकिस्तान बना परमाणु शक्ति

जब भारत की सिर्फ एक गलती से पाकिस्तान बना परमाणु शक्ति

हर देश का अपना एक खूफिया तंत्र होता है. जो उस देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैला होता है. इस खूफिया तंत्र का काम होता है देश को संभावित खतरों से आगाह करना और कूटनीतिक तरीके से दुश्मन की चालों को नाकाम करना. 1962 और 1965 की जंग में IB के नाकाम होने की वजह से भारत सरकार ने 21 सितंबर साल 1968 को एक गुप्तचर एजेंसी का गठन किया, जिसका नाम रखा गया रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग). इसके पहले चीफ थेR.N.kao. 1968 में गठन के बाद से ही रॉ ने कई कोवर्ड ऑपरेशन्स को अंजाम दिया और भारत की जीत को सुनिश्चित किया. चलिए बताते हैं आपको रॉ के कुछ ऐसे ही कॉवर्ड ऑपरेशंस के बारे में.  ऑपरेशन गंगा प्लेन हाईजैक साल 1971 में पाकिस्तान के एक आतंकवादी ग्रुप अल फतेह को पाकिस्तानी आर्मी ने ट्रेनिंग दी जिसका मकसद था भारत में एक प्लेन को हाईजैक करना. असल में उनका टारगेट प्लेन नहीं था उनका टारगेट था उस प्लेन को उड़ाने वाला पायलट. ये पायलट कोई और नहीं, ये था भारत की तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बेटा संजय गांधी. पाकिस्तान ने इस काम को अंजाम देने के लिए हाशिम कुरैशी को भारत भेजा, लेकिन इससे पहले वो अपने मकसद में कामयाब हो पाता वो BSF के हत्थे चढ़ गया. लेकिन रॉ ने उसे गिरफ्तार करने की बजाए उसे एक नकली गन और एक ग्रेनेड देकर प्लने को हाईजैक करने दिया. प्लेन जब लाहौर पहुंचा तब पाकिस्तान को लग रहा था कि वे अपने मकसद में कामयाब हो गए हैं लेकिन पाकिस्तान रॉ की इस चाल में फंस चुका था. इसके बाद रॉ ने पाकिस्तान को बेनकाब कर उसे वेस्ट पाकिस्तान से ईस्ट पाकिस्तान तक भारतीय क्षेत्रों में उड़ान भरने से मना कर दिया गया. जिसके चलते पाकिस्तान को 1971 की जंग में भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

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