लोकतंत्र में असहमति के विषय पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की भाषणमाला में जस्टिस दीपक गुप्ता ने खरी-खरी कही. जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि सरकार से असहमति राष्ट्रविरोध का प्रतीक नहीं. राष्ट्र और सरकार बिल्कुल अलग है. मैं न्यायपालिका की आलोचना का भी स्वागत करूंगा, क्योंकि जब आलोचना होगी तभी सुधार होगा. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हमें आत्मनिरीक्षण भी करना चाहिए. जब हम आत्मनिरीक्षण करते हैं तो पाते हैं कि हमें कई फैसलों में सुधार की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अगर कार्यपालिका, न्यायपालिका, नौकरशाही और सशस्त्र बलों की आलोचना को देश विरोधी नहीं कहा जा सकता. संविधान ने सभी नागरिकों को सरकार पर सवाल उठाने का अधिकार दिया है. इसे छीना नहीं जा सकता. अगर हम ऐसा करते हैं तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा. ऐसे में हमारा लोकतंत्र और विकसित नहीं हो पाएगा.