साल 2005 में सचिन तेंदुलकर से खास मुलाकात में उन्होंने कहा कि मै पढ़ाई से दूर रहना चाहता था और इसलिए क्रिकेट के करीब गया. पिताजी ने मेरे अंदर के क्रिकेट को देखा और मुझे क्रिकेट खेलने की आजादी दी.