इंसानों के लिए आस्था या यकीन ऐसे आसमान की तरह है जिससे बरकत और नेमत बरसती है. आस्था की अस्मत भी इसी में महफूज है. लेकिन इंसान जब आस्था की रौशनी छोड़ अंधा-विश्वास के अंधेरों में भटक जाता है तो आस्था भी शर्मसार हो जाती है.