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तुम जैसे गए... ऐसे भी जाता नहीं कोई! अलविदा सुशांत...

तुम जैसे गए... ऐसे भी जाता नहीं कोई! अलविदा सुशांत...

सब कुछ तो था... तो फिर आखिर ऐसा क्या कुछ नहीं था जिसने अंदर से सुशांत को खोखला कर दिया था? जिसकी वजह से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाते हुए अपनी जान ले ली. सच में... ऐेसे भी कोई जाता है क्या? जो पर्दे पर आत्महत्या के खिलाफ लड़ता रहा. जो पर्दे पर जिंदगी को जिंदादिली सिखाता रहा, जो क्रिकेट की पिच पर जीत की पटकथा लिखता, वो अचानक जिंदगी की पिच पर हिटविकेट कैसे हो सकता है. हर किसी के जहन में आज बस यही सवाल है.

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