कॉमनवेल्थ खेलों की घटिया तैयारी और सुस्त रफ्तार से देश की फजीहत होनी शुरू हो गई है. जिनके ऊपर खेल कराने की जिम्मेदारी है वो किसी दूसरे ही खेल में लगे हुए हैं, लेकिन खेलमंत्री को लगता है कि अब आखिरी वक्त में घोड़े बदलने से काम नहीं बनेगा. लेकिन ऐसे घोड़ों का कोई क्या करेगा जो दौड़ने की बजाय अपने खुर से अस्तबल की ही मिट्टी खोदते रहते हैं.