बग्वाल की तरह ही खेला जाता है छिंदवाड़ा में गोटमार मेला. इस मेले में दो गांवों के लोग पत्थर से लड़ते हैं. 17वीं सदी में शुरू हुई ये परंपरा अब तक चली आ रही है. पिछले साल इस मेले में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी.