सरबजीत को तेईस साल बाद वतन की मिट्टी नसीब तो हुई, लेकिन बस कुछ पल में मिट जाने के लिए. अमृतसर के पास उनका पैतृक गांव भिखीविंड आज गम में डूबा हुआ है. उनका पूरा परिवार भी फूट-फूट कर रो रहा है.