गांव के बच्चे ज्यादा से ज्यदा संख्या में पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचे, ताकि गरीब बच्चों का कुपोषण दूर हो, इसलिए 15 अगस्त 1995 को यह योजना लागू हुई थी.