रविवार को बाल ठाकरे की पहली पुण्य तिथि है. शिवसेना के तमाम कार्यकर्ता और समर्थक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. ऐसे में उनकी याद आना जाहिर सी बात है, सादे लिबास में रहने वाले बाल ठाकरे की आवाज में तानाशाहों की तरह गरज थी. वे आम मराठी के हमदर्द हुआ करते थे और फिर उन्हीं के मसीहा बन गए.