जब से भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध तीर से किया है तभी से दहशरे के दिन चली आ रही है तीर से उनके वध की परंपरा. लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां रावण को तीर से नहीं गोलियों से मारा जाता है.