कल्पना कीजिए, सूख जाए गंगोत्री. संगम में एक बूंद पानी ना मिले. हर दिन चहल-पहल से गुलजार वाराणसी के घाट वीरान हो जाएं. क्या कभी ऐसा हो सकता है? करीब 25 साल बाद ऐसा होने का खतरा पैदा हो गया है.