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'नहीं सूखने दूंगा अपने घांवों को...'

'नहीं सूखने दूंगा अपने घांवों को...'

'इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखा देखूंगा, नहीं गाऊंगा गीत पीड़ा भूला देने वाले...दर्द को रिसने दूंगा, उतरने दूंगा अंदर गहरे... ' यह पंक्तियां हैं गीतकार प्रसून जोशी की, जिन्‍होंने मुंबई में आतंकी हमले के बाद इसे कलमबद्ध किया है. भारत की सारी जनता अब यही गा रही है, 'इस बार नहीं...'

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