आज की कहानी है एक योगी की. वो योगी जो धर्म की सनातनी परंपरा के मुताबिक दुनियावी मोह-माया और भोग-विलास का त्याग कर सन्यास धारण करता है. वो भी मात्र 22 साल की उम्र में. एक योगी की दीक्षा के साथ वो खुद को धर्म और समाज के लिए समर्पित करता है. और 19 साल बाद उस योग के साथ सत्ता की ऊंची कुर्सी पर विराजमान होता है. बड़ी दिलचस्प है इस योगी की ये यात्रा- जिसमें साधना पहले खुद को भुला देने की होती है, और फिर मंजिल तय होती है सियासत में खुद को पा लेने की.