इजरायल पर 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास ने बड़ा हमला किया. हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल पर 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे. इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष कई दशकों पुराना है और कई देशों की इसमें अहम भूमिका रही है. इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर इन देशों के रुख में किस तरह से तब्दीली आई है और मौजूदा इजरायल-हमास युद्ध को ये किस नजरिए से देखते हैं.
इजरायल ने लेबनान के साथ दो युद्ध लड़े हैं. पहला 1982 में और दूसरा 2006 में. हिजबुल्लाह लेबनान का एक इस्लामिक आतंकी संगठन है जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त है. हिजबुल्लाह की नियमित तौर पर इजरायली डिफेंस फोर्सेज के साथ झड़प होती रहती है.
सीरिया एक तरह से फिलिस्तीनी चरमपंथी समूहों का समर्थन करता है और इजरायल के खिलाफ उनका इस्तेमाल करता है. सीरिया के लिए गोलान हाइट्स विवादित मुद्दा बना हुआ है. ईरान और हिजबुल्लाह से सीरिया के गठजोड़ से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा है. सीरिया उन पांच अरब देशों में शामिल था, जिसने 1948 में इजरायल के गठन के बाद उस पर हमला कर दिया था. मिस्र के साथ मिलकर सीरिया ने 1973 में इजरायल पर एक बार फिर हमला किया था लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी.
पारंपरिक रूप से सऊदी अरब पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा और सबसे अमीर देश है. वह फिलिस्तीनी समूहों का समर्थन करता है. हालांकि, हाल के सालों में सऊदी अरब के इजरायल के साथ संबंध सुधरे हैं. लेकिन ये संबंध अनौपचारिक ही रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि सऊदी अरब, अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है.
मिस्र की सीमा गाजा पट्टी से लगती है, जिस पर हमास का नियंत्रण है. मिस्र ने 1993 के ओस्लो समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कुछ पश्चिम एशिया देशों के साथ मिलकर मिस्र ने इजरायल के साथ दो युद्ध किए हैं लेकिन 1979 कैम्प डेविड समझौते के बाद वह इजरायल को औपचारिक मान्यता देने वाला पहला अरब देश है. मिस्र ने कई बार इजरायल और फिलिस्तीन के बीच मध्यस्थता की है.
ओमान ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों विशेष रूप से गाजा पट्टी को मानवीय सहायता प्रदान की है. वह इजरायल और फिलिस्तीन वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए शांति प्रक्रिया में शामिल रहा है. जनवरी 2023 में ओमान की संसद ने इजरायल के साथ संबंधों को अपराध के दायरे में लाने के लिए वोट किया था.
हमास के कुछ नेता कतर की राजधानी दोहा में है. कतर इजरायली महिलाओं और बच्चों की आजादी सुनिश्चित करने के लिए हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है.
अगस्त 2020 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) इजरायल को मान्यता देने वाला तीसरा अरब देश था. एक समय में दुश्मन रहे यूएई और इजरायल ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के जरिए एक एग्रीमेंट पर साइन किए थे. तभी से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हुआ है. दोनों देशों के बीच संबंध सुधार का ही नतीजा है कि लाखों इजरायली फिलहाल यूएई में हैं.
ईरान की आखिरी राजशाही शाह मोहम्मद रजा पहलवी के दौर में ईरान और इजरायल में अच्छे संबंध हुआ करते थे. लेकिन 1978-79 की इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आने लगी. 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद ये दरार बढ़कर दुश्मनी में बदल गई. सुन्नी बहुल अरब देशों में ईरान शिया बहुल राष्ट्र है.
ईरान हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता है. इतना ही नहीं, बीते तीन दशकों में इजरायल के खिलाफ प्रॉक्सी-वॉर में इन संगठनों का समर्थन किया है. दूसरी ओर इजरायल, ईरान को बड़े खतरे के तौर पर देखता है क्योंकि उसका मानना है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. इजरायल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना चाहता है.
इराक हमेशा इजरायल के गठन का विरोध करता रहा है. 1948 में इजरायल के गठन के बाद जिन अरब देशों ने इजरायल के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, उनमें इराक भी शामिल था. इराक फिलिस्तीनी संगठनों का समर्थन करता है लेकिन 1990 में कुवैत पर हमले और 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद ये समीकरण बदल गए. इराक के पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष के और अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की उपस्थिति ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में इसकी भूमिका को कम कर दिया.
2003 में सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद, इराक ने क्षेत्रीय राजनीति में नगण्य भूमिका निभाई क्योंकि ये आंतरिक कलह से ग्रस्त था. लेकिन ईरान से जुड़े इराकी सशस्त्र संगठनों ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका ने गाजा में हमास के साथ इजरायल के संघर्ष में दखल दिया तो अमेरिका को टारगेट किया जाएगा.
जॉर्डन और इजराइल ने 1994 में शांति समझौते के बाद राजनयिक संबंध बनाए रखे हैं. जॉर्डन 1948 में इजराइल पर हमला करने वाले पांच अरब देशों में से एक था. हालांकि, मिस्र के बाद इजरायल को मान्यता देने वाला दूसरा अरब देश जॉर्डन ही है. अरब-इजरायल युद्ध के बाद जॉर्डन ने 1948 से 1967 तक वेस्ट बैंक का प्रशासन किया, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली.
जॉर्डन में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी शरणार्थी रहते हैं. जॉर्डन येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद समेत ईसाई और मुस्लिम के पवित्र स्थानों का कस्टोडियन भी रहा है. हालांकि इजरायल उन तक पहुंच को नियंत्रित करता है.
तुर्किए के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने 7 अक्टूबर के हमलों के बाद इजराइल और हमास के बीच तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश की है. हमास के 7 अक्टूबर के हमले के बाद तुर्किए ने गाजा पर इजरायल की बमबारी के खिलाफ आवाज उठाई है. तुर्किए इजराइल को मान्यता देने वाला पहला मुस्लिम-बहुल देश था और 1980 के दशक तक उसके अच्छे संबंध थे. लेकिन एर्दोगन के नेतृत्व वाली इस्लामवादी एके पार्टी के उदय ने संबंधों को बदल दिया.
तुर्किए पहले फिलिस्तीनियों का समर्थन करता था और हमास के सदस्यों की भी मेजबानी कर चुका है. 2022 में फिलिस्तीनियों की हत्या पर पूर्व निष्कासित इजरायली दूतों के चार साल बाद तुर्किए और इजरायल राजनयिक संबंध बहाल करने पर सहमत हुए थे.
अपनी आंतरिक चुनौतियों और संघर्षों के कारण इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष में यमन की भूमिका कुछ अन्य पश्चिम एशियाई देशों की तुलना में सीमित रही है. हमास के 7 अक्टूबर के हमलों के बाद यमन स्थित हौती नेता ने अमेरिका को गाजा संघर्ष में सीधे हस्तक्षेप करने के खिलाफ चेतावनी दी थी. हौती नेता अब्देल-मालेक अल-हौती ने कहा कि उनका समूह ड्रोन और मिसाइलों से अमेरिका को निशाना बनाएगा.
कहानी: युधाजीत शंकर दास
क्रिएटिव डायरेक्टर: राहुल गुप्ता
यूआई/यूएक्स डेवलपर्स:विशाल राठौड़, मो. नईम खान
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