सागर हत्याकांड में फंसे रेसलर सुशील कुमार का वक्त ऐसे बदला कि उनकी सारी की सारी उपलब्धियां और कामयाबी धरी रह गई. सिर्फ एक गलती की वजह से उनकी शोहरत का तिलिस्म टूट गया. लंबे अरसे की मेहनत से कमाई गई इज्जत एक ही झटके में मिट्टी में मिल गई. वो सुशील कुमार जो कल तक पूरे देश और दुनिया का हीरो था, देखते ही देखते पुलिस और कानून की नज़र में एक मुल्ज़िम बन गया. उन पर अपहरण और कत्ल जैसे संगीन इल्जाम है. उनकी जिंदगी की कहानी में कई तरह के उतार चढ़ाव रहे हैं. कड़े संघर्ष के बाद सुशील कुमार ने ये मुकाम हासिल किया था, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है.
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सुशील कुमार बचपन से ही काफी शर्मीले थे. उनका जन्म हरियाणा के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता सरकारी ड्राइवर थे. उनकी पढ़ाई लिखाई भी सामान्य रूप से गांव में हुई. किशोरावस्था से ही उनका रुझान खेलों में था. फिर उन्हें रेसलिंग भाने लगी. उन्होंने महाबली सतपाल से पहलवानी के गुर सीखने शुरू कर दिए. सुशील रोज सतपाल के घर जाते थे. 2010 नवंबर में जब उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता. तो सतपाल ने अपनी बेटी के साथ उनकी सगाई का ऐलान कर दिया. कुछ दिन में सगाई हो भी गई. 18 फरवरी 2011 को महाबली सतपाल की बेटी सावी सहरावत के साथ सुशील की शादी हुई. कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने के बाद वे देश के हीरो बन चुके थे. यही वजह थी कि उनकी शादी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नाडिस, पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव, पूर्व हॉकी कप्तान जफर इकबाल, पूर्व तैराक खजान सिंह, कुश्ती जगत के कई नामी कोच और देश के कई अन्य जानी मानी हस्तियों ने शिरकत थी. चौंकाने वाली बात ये थी कि सुशील ने शादी से पहले अपने गुरु की बेटी सावी को देखा तक नहीं था.
सुशील कुमार, शोहरत के आसमान पर एक चमकता सितारा बन चुके थे. दौलत, शोहरत और इज्जत उसके कदमों तले थी. विज्ञापनों से उसकी लाखों की कमाई होती थी तो वहीं उन्हें सरकारी नौकरी भी मिल गई थी. जमीन-जायदाद के साथ-साथ एक बड़ा स्कूल भी उनके पास है. वे इकलौते हिंदुस्तानी हैं, जिन्होंने दो ओलंपिक मेडल जीते और वर्ल्ड टाइटल भी अपने नाम किया. कॉमनवेल्थ गेम्स में सुशील कुमार ने 3 बार गोल्ड मेडल जीता. उन्हें पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया. उन्हें खेल जगत के प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें इनाम के रूप में करोड़ों रुपये मिले.
सुशील कुमार की कहानी बेशक किसी फिल्म की मानिंद हो, लेकिन देश के सबसे कामयाब और सबसे नामचीन पहलवान सुशील कुमार की जिंदगी का यही सच है. उसी सुशील कुमार की, जो हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकल कर अपनी मेहनत और टैलेंट की बदौलत कुश्ती के अंतर्राष्ट्रीय फलक पर छा गया और जिसने एक के बाद एक ढेरों खिताब अपने नाम कर ना सिर्फ़ अपना बल्कि पूरे देश का नाम कई बार रौशन किया. नामालूम कितने नौजवान उनकी तरह पहलवानी करने का ख्वाब देखने लगे, कुछ ऐसे भी थे जो शायद उनसे रश्क करने लगे.
सुशील की जिंदगी में तब तक सबकुछ ठीक चल रहा था, जब तक 4 मई 2021 की तारीख़ नहीं आई थी. क्योंकि यही वो दिन था जिस रोज़ सुशील कुमार की तकदीर ने ऐसी करवट ली कि एकाएक सबकुछ बदल गया. पुलिस की मानें तो इस रोज सुशील कुमार अपने कुछ साथियों के साथ मॉडल टाउन के एम ब्लॉक इलाक़े में मौजूद एक फ्लैट में पहुंचे. उनके साथियों ने फ्लैट में रहने वाले सागर धनखड़ नाम के एक लड़के को उसके तीन साथियों समेत किडनैप कर लिया. सागर खुद भी सुशील कुमार का बड़ा फैन और कुश्ती का नेशनल जूनियर चैंपियन था. चूंकि सुशील कुमार की गिनती देश के सबसे नामी और बड़े पहलवानों में होती है, तो उनके गुर्गों ने जब सागर और उसके दोस्तों को बताया कि सुशील कुमार खुद उसके फ्लैट के बाहर उससे मिलने आए हैं, तो सागर उसके साथी खुद ही चलकर फ़ौरन उनकी कार के पास आ गए. फ्लैट के बाहर सचमुच सुशील एक होंडा सिटी कार में अपने कुछ और साथियों के साथ बैठे हुए थे और यहां उन्होंने गन प्वाइंट पर सागर और उसके साथियों को गाड़ी में बिठा लिया.
यानी कल तक जो सुशील कुमार, सागर धनखड़ का रोल मॉडल और हीरो हुआ करते थे, अब वही सुशील कुमार उसके और उसके साथियों के किडनैपर बन चुके थे. पुलिस की मानें तो सुशील और उनके साथी सागर को अगवा कर अपने साथ दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में मौजूद छत्रसाल स्टेडियम में लेकर गए. छत्रसाल स्टेडियम यानी वो जगह जिसे देश में कुश्ती का सबसे बड़ा केंद्र कहें तो गलत नहीं होगा. खुद सुशील कुमार ने ना सिर्फ इसी छत्रसाल स्टेडियम में साल दर साल कुश्ती की प्रैक्टिस की, बल्कि एक के बाद एक कई खिताब जीतने के बाद वो इसी छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी के तौर पर भी तैनात रहे. लेकिन 4 मई की रात इसी छत्रसाल स्टेडियम में उनसे अनहोनी हो गई.
असल में इन दिनों सुशील कुमार सागर धनखड़ से किसी बात पर कुछ ज़्यादा ही नाराज़ थे और इसी गुस्से में उन्होंने सागर और उसके साथियों को अगवा कर कुछ इतनी बुरी तरह से पीटा कि सागर समेत उसके दो दोस्तों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. सागर के बाकी दोस्तों की तो जैसे-तैसे जान बच गई, लेकिन बदकिस्मती से इस पिटाई में सागर धनखड़ को कुछ इतनी चोटें आई कि उसकी जान ही चली गई. सागर की हालत कुछ इतनी नाज़ुक थी कि मारपीट की इस भयानक वारदात के बाद मौके पर पहुंची, पुलिस सागर का बयान तक नहीं ले सकी. इससे पहले ही वो इस दुनिया से दूर चला गया.
सागर की मौत के साथ ही पूरे खेल जगत और खास कर कुश्ती की दुनिया में हड़कंप मच गया. इसकी दो वजहें थीं. एक तो खुद सागर का जूनियर कुश्ती चैंपियन होना और दूसरा क़त्ल में सुशील कुमार की भूमिका सामने आना. असल में सुशील कुमार और सागर धनखड़ के बीच रुपयों के लेन-देन का एक मामूली विवाद था. कभी सुशील को फैन मानने वाले सागर अब से पहले तक जिस फ्लैट में किराये पर रहता था, वो फ्लैट किसी और का नहीं, बल्कि खुद सुशील कुमार की पत्नी का था. यानी सुशील कुमार का ही था. लेकिन सागर ने दो महीनों का किराया दिए बगैर ही उस फ्लैट को छोड़ दिया था. सूत्रों की मानें तो इसके बाद सुशील ने कई बार सागर से अपने बकाया किराए की मांग की लेकिन सागर रुपये देने में टाल-मटोल करता रहा. फिर इसी के बाद सुशील ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक ऐसा फ़ैसला किया, जो बेहद गलत साबित हुआ.
हुआ यूं कि उस रात सागर और उसके साथियों को अगवा कर छत्रसाल स्टेडियम लाने के बाद सुशील कुमार और उनके लोगों ने सागर को बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया. जब सागर के दोस्तों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो सुशील ने उन्हें भी बुरी तरह पीटा. हालत कुछ ऐसी हुई पहलवानों की पिटाई से लड़के बुरी तरह लहूलुहान हो गए. स्टेडियम में चीख-पुकार मच गई. पुलिस की मानें तो यहां तक तो फिर भी गनीमत थी, लेकिन इसी मारपीट के बीच तब मामला और भी संगीन हो गया, जब सुशील कुमार के साथियों ने सागर और बाकी लड़कों को डराने के लिए फायरिंग शुरू कर दी और बात लगातार बिगड़ती चली गई.
किसी तरह इस बवाल से जान छुड़ाकर एक लड़के ने पुलिस को फोन कर दिया. आनन-फानन में मॉडल टाउन थाने की पुलिस भी मौके पर आ गई. हालांकि कहानी में यहां भी ट्विस्ट था. पुलिस के आने की खबर स्टेडियम के सिक्योरिटी गार्डस ने सुशील कुमार को पहले ही दे दी. सुशील कुमार अपने साथियों के साथ मौके से फ़रार हो गया. स्टेडियम के बाहर गाड़ियों की तलाशी लेने के बाद पुलिस को एक लड़का एक कार में छुपा हुआ मिला. पहले तो पुलिस ने इसे मामले का पीड़ित और सागर धनखड़ का साथी समझा. लेकिन अगले दिन सुबह पुलिस को तब हैरानी हई, जब पता चला कि वो तो सुशील का साथी था और पुलिस के आने की भनक लगने पर वो पकड़े जाने से बचने के लिए छुप गया था.
पुलिस अस्पताल में भर्ती सागर धनखड़ का बयान तो लेना चाहती थी, लेकिन उसकी हालत ऐसी थी कि पुलिस उससे पूछताछ नहीं कर सकी. दो दिन बाद उसने दम तोड़ दिया. इसी के साथ कुश्ती जगत का एक उभरता हुआ सितारा चंद रुपयों के मामूली झगड़े में इस दुनिया से दूर चला गया.
उधर, सागर के बाकी दोस्तों ने पूछताछ में पुलिस को जो कहानी सुनाई, उससे पुलिसवाले भी सन्न रह गए. पुलिस की नज़रों में मामला मामूली नहीं बल्कि एक ओलंपियन के चैंपियन से कातिल बनने का था. क्योंकि पुलिस की तफ्तीश के मुताबिक सागर को अगवा करने से लेकर उसका क़त्ल करने तक हर करतूत में सुशील कुमार का हाथ था. इसके बाद एक-एक कर इस मामले में कई मुल्ज़िम पुलिस की गिरफ्त में आए, लेकिन यहां तो कुश्ती का चैंपियन फरारी का भी चैंपियन साबित हुआ. पुलिस अब उनके नाम पर गैर ज़मानती वारंट जारी कर चुकी थी, उनकी तलाश में लगी थी. लेकिन सुशील लगातार पुलिस को चकमा दे रहे थे. पुलिस ने उनकी बीवी और दूसरे घरवालों से पूछताछ की, लेकिन सुशील का सुराग नहीं मिला. हार कर पुलिस ने सुशील का पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया, ताकि वो देश से बाहर ना भाग सके और तो और पुलिस ने सुशील कुमार का सुराग देने वाले के लिए एक लाख रुपये ईनाम का भी ऐलान कर दिया. यानी अब पुलिस की नज़र में ओलंपियन सुशील एक इनामी मुल्ज़िम बन चुके थे.
इस मामले में एक बड़ा ट्विस्ट तब आया, जब इस वारदात के 14 दिन बाद 18 मई को सुशील कुमार की ओर से रोहिणी कोर्ट में अग्रिम ज़मानत की याचिका दाखिल की गई. सुशील के वकील ने अदालत के सामने तर्क दिया कि सुशील कुमार इतने बड़े खिलाड़ी और ओलंपियन हैं. उन्होंने इतने बड़े-बड़े खिताब अपने नाम किए हैं. उन्हें साज़िशन इस मामले में फंसाया गया है. पुलिस ने साज़िश बुनने के लिए ही छह घंटे देर से एफआईआर दर्ज की है. और तो और सागर धनखड़ के क़त्ल का सुशील कुमार के पास कोई मोटिव ही नहीं है. पुलिस ने गलत तरीके से उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया है. उनके घरवालों को पूछताछ के नाम पर पुलिस परेशान कर रही है. पुलिस ने उस रात सौ नंबर पर कॉल करने वाले का नाम तक नहीं बताया है. उस रात की वारदात में ज़ख्मी सोनू का सच भी पुलिस छुपा रही है, जो कि एक अपराधी है. और कोविड के इस दौर में सुशील को डर है कि कहीं वो भी इसका शिकार ना हो जाएं. इन तमाम बातों के मद्देनजर इस मामले में सुशील कुमार को अग्रिम ज़मानत दी जानी चाहिए.
लेकिन पुलिस यानी अभियोजन पक्ष ने भी इस अर्ज़ी के खिलाफ़ मजबूती से अपने तर्क पेश किए. पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने अदालत से कहा कि सुशील कुमार के खिलाफ़ दर्ज मामला बेहद संगीन किस्म का है. सुशील कुमार उस रात सागर और उसके साथियों को खुद ही अगवा कर अपने साथ छत्रसाल स्टेडियम ले गए थे. सुशील के खिलाफ़ जांच में क़त्ल का मोटिव भी साफ हो चुका है. मृतक सागर सुशील की पत्नी के एक फ्लैट में किराये पर रहता था और उसने दो महीने का किराया नहीं चुकाया था. और तो और पुलिस के पास इस मामले के सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं. सीसीटीवी पर एफएसएल की रिपोर्ट आ चुकी है, जो बताती है फुटेज बिल्कुल सही हैं. फुटेज में सुशील कुमार डंडा लेकर सागर और उसके साथियों को पीटते दिख रहे हैं. पुलिस ने सुशील का पासपोर्ट सीज़ नहीं किया है बल्कि जांच के लिए उनके घरवालों से लिया है. ताकि उसकी डिटेल एयरपोर्ट पर दी जा सके और उन्हें देश से बाहर भागने से रोका जा सके. सुशील जांच से भाग रहे हैं जबकि उनके खिलाफ़ गैरजमानती वारंट जारी हुआ है. ऐसे में सुशील कुमार का कस्टोडियल इंटैरोगेशन करना बेहद ज़रूरी है. साथ ही सुशील कुमार से वारदात में इस्तेमाल हथियार भी बरामद करना है.
ज़ाहिर है पुलिस के तर्कों में दम था, लिहाज़ा रोहिणी कोर्ट ने दोनों पक्षों की इस गर्मागर्म बहस को सुनने के बाद सुशील कुमार की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी खारिज कर दी. अब सवाल था कि ऐसे में क़त्ल के इनामी मुल्ज़िम सुशील कुमार के पास फिलहाल कौन-कौन से रास्ते यानी कानूनी विकल्प हैं? तो जवाब था कि सुशील कुमार अपनी अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी लेकर ऊपर की अदालत में जा सकते थे. अगर वहां से उन्हें अग्रिम ज़मानत मिल जाती तो वे सामने आ सकते थे. गिरफ्तारी के डर से आज़ाद होकर जांच में शामिल हो सकते थे. चूंकि ज़मानत अर्ज़ी पहले ही खारिज हो चुकी है वो अदालत में आत्मसमर्पण कर सकते थे. वो खुद को पुलिस के हवाले कर सकते थे यानी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर सकते थे. लेकिन इसी बीच पुलिस उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती थी.
सवाल था कि देश की इतनी बड़ी शख्सियत, जिसकी अपनी ही एक फैन फॉलोइंग है, आख़िर इतने दिनों तक पुलिस को चकमा कैसे दे सकती थी. तो इसका जवाब पुलिस की तफ्तीश में सामने आया. पुलिस की मानें तो फरारी के शुरुआती दिनों में वो उत्तराखंड के एक बाबा के आश्रम में अपना ठिकाना तलाशने पहुंचे थे. बाद में पता चला कि सुशील अपने साथियों के साथ नजफगढ़-बहादुरगढ़-झज्जर के बीच छिपते फिर रहे थे. इन इलाकों में फार्म हाउस और फ्लैट वगैरह में उनके ठिकाने थे. इस काम में दिल्ली नगर निगम के एक पार्षद का बेटा सुशील कुमार की मदद कर रहा था.
लेकिन सुशील कुमार ज्यादा दिन छुप नहीं सके. उन्हें पुलिस ने पहलवान सागर धनखड़ की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को लेकर कई तरह के खुलासे होने लगे. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पहलवान सुशील को 6 दिन की रिमांड पर ले लिया. पूछताछ और जांच का सिलसिला शुरू हुआ.
जांच के दौरान इस मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब पता चला कि इस हत्याकांड का एक आपराधिक एंगल भी है. जांच में खुलासा हुआ कि सुशील कुमार और उनके साथियों ने जब सागर पर हमला किया था, तभी सोनू महाल नाम के एक शख्स को भी उन लोगों ने पीटा था. सोनू महाल दिल्ली और हरियाणा के वांटेड बदमाश संदीप काला उर्फ काला जठेड़ी का भांजा है. पुलिस के मुताबिक सोनू महाल के खिलाफ भी 19 मामले दर्ज हैं. मामले की छानबीन आगे बढ़ी तो एक ऐसा नाम सामने आया कि पुलिस की जांच का एंगल भी बदल गया. वो नाम था मशहूर गैंगस्टर नीरज बवाना का. तफ्तीश के दौरान पता चला कि सुशील और उनके साथियों ने सागर के साथ-साथ अमित और सोनू महाल की पिटाई की थी. इस काम के लिए रेसलर सुशील कुमार के साथ कुख्यात गैंगस्टर के गुर्गे भी आए थे, जो नीरज बवाना, लॉरेंस विश्वोई और काला जठेड़ी गैंग के बताए जा रहे थे.
इसके बाद पुलिस के सामने पहलवान और अपराधी गठजोड़ का खुलासा हो गया. पुलिस की एक टीम अब इस नेक्सस की जांच में जुट गई. साथ ही सुशील कुमार की सरकारी नौकरी भी खतरे में आ गई है. रेलवे ने उन्हें निलंबित कर दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए तो सुशील कुमार के करियर की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है.
सागर हत्याकांड में फंसे ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार का नाम पहले भी विवादों में रहा है. वो चाहे रियो ओलंपिक जाने का मामला हो या फिर नरसिंह का डोप टेस्ट या फिर प्रवीण राणा के साथ उनका विवाद. वे किसी ना किसी मामले की वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहे.
जून 2016 में रियो ओलंपिक की तैयारी चल रही थी. रेसलिंग में भारत की तरफ से नरसिंह का नाम वहां जाने के लिए प्रस्तावित था. रेसलिंग फेडरेशन का तर्क था कि 2015 से सुशील कुमार ने किसी ट्रायल में भाग ही नहीं लिया. ऐसे में नरसिंह यादव की तैयारी उनसे बेहतर थी. नरसिंह यादव सितम्बर 2015 से तैयारी कर रहे थे. नरसिंह का नाम फाइनल होता देख सुशील कुमार कोर्ट जा पहुंचे. इस मामले को लेकर दो सप्ताह तक कोर्ट में सुनवाई चली. सुशील कुमार और नरसिंह ने कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा. मगर सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि भारत सरकार के खर्चे पर जोर्जिया जाकर सुशील कुमार ने भारतीय खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस नहीं की बल्कि जोर्जिया के खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस की, जो नियमों के खिलाफ था.
सुशील के वकील ने कोर्ट से कहा था कि इंटरनेशनल रेसलिंग में सुशील के कामयाब होने के चांस ज्यादा हैं. वे अकेले भारतीय रेसलर हैं, जिन्होंने भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने कहा कि नरसिंह के पास वो अनुभव नहीं है, जो सुशील के पास है. इसलिए अगर रियो ओलंपिक में सुशील को भेजा जाता है तो भारत के जीतने के चांस बढ़ जाएंगे. हाई कोर्ट ने इस मामले पर नाराजगी जताई थी कि रेसलिंग फेडरेशन और खिलाड़ियों की राजनीति को भी कोर्ट मे घसीटा जा रहा है जबकि खिलाड़ियों को इस समय अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए था. बाद में कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था. इस मामले को लेकर नरसिंह और सुशील कुमार के बीच काफी तनाव हो गया था.
जुलाई 2016 के दौरान डोप टेस्ट में रेसलर नरसिंह यादव फेल हो गए. आरोप था कि नरसिंह के खाने में पाउडर जैसा कुछ मिलाया गया था. जिसकी वजह से वो डोप टेस्ट में फेल हो गए थे. इस मामले में भी सुशील कुमार का नाम आया था. उस वक्त रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कोर्ट को बताया था कि रसोइए ने उस शख्स की पहचान भी कर ली है. संदिग्ध शख्स एक अंतरराष्ट्रीय रेसलर का छोटा भाई बताया जा रहा था. इस मामले के बाद नरसिंह की जगह प्रवीण राणा का नाम भेजा गया था. नरसिंह यादव को अगले 4 साल के लिए बैन कर दिया गया था.
तब सुशील कुमार के कोच सतपाल ने कहा था कि अगर सुशील का नाम डोपिंग विवाद में घसीटा गया तो वह नरसिंह के खिलाफ मुकदमा करेंगे. डोप टेस्ट विवाद के बाद नरसिंह यादव के वाराणसी स्थित पैतृक गांव मुरेरी में मायूसी छा गई थी. नरसिंह के घरवालों ने तमाम आरोपों को गलत बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की जांच कराने की मांग की थी.
अगस्त 2020 में डोप टेस्ट में नाकाम हुए पहलवान नरसिंह यादव पर लगा बैन खत्म हो गया था. इससे पहले सुशील कुमार और नरसिंह के बीच एक-दूसरे के खिलाफ काफी बयानबाजी हो चुकी थी. सुशील कुमार ने नरसिंह की वापसी और उनसे मुकाबले के बारे में कहा था कि वह नरसिंह के रिंग में लौटने का स्वागत करते हैं. सुशील ने नरसिंह के साथ मुकाबला होने के बारे में पूछे जाने पर कहा था कि यह समय आगे बढ़ने का है.
दिसंबर 2017 में सुशील कुमार ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के लिए क्वालिफाई किया था. उन्होंने 74 किलोग्राम वर्ग के लिए फाइनल ट्रायल मैच में जितेंद्र कुमार को हराकर अपनी जगह पक्की की थी. इस खबर से सुशील के समर्थक खुश थे, लेकिन कुछ देर बाद ही सुशील कुमार के समर्थक और दूसरे भारतीय पहलवान प्रवीण राणा के समर्थकों से भिड़ गए. उनके बीच नई दिल्ली के केडी जाधव स्टेडियम में जोरदार लड़ाई हुई. उस दौरान ट्विटर पर इस लड़ाई का वीडियो भी वायरल हुआ था. दोनों पहलवानों के समर्थकों के बीच झगड़े की नौबत तब आई थी, जब सुशील से हारने के बाद प्रवीण राणा ने दावा किया कि सुशील के समर्थकों ने रिंग में उसके खिलाफ उतरने पर उसे और उसके बड़े भाई को मारा था. इस आरोप से सुशील कुमार सवालों के घेरे में आ गए थे. पहलवान प्रवीण राणा के साथ हुई मारपीट के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसमें सुशील कुमार और उनके समर्थकों को आरोपी बनाया गया था.
सागर हत्याकांड के बाद रेसलर सुशील कुमार का नाम किसी अपराधी की तरह लिया जा रहा है. पहलवानों और अपराध का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है. पहलवानी के करियर में नाकाम बहुत से पहलवान या तो बाउंसर बन गए या फिर बड़े गैंगस्टर माफिया के साथ जुड़ गए. ऐसे ही मामलों की ताजा मिसाल है सागर धनखड़ हत्याकांड.
अखाड़े में नाकाम ऐसे पहलवानों का इस्तेमाल कई राजनीतिक पार्टियों, बैंक में वसूली एजेंट और पब-क्लब बाउंसर के तौर पर किया जाने लगा है. ऐसे में इन लोगों से जुड़ी खबरें भी चर्चा में आ जाती हैं. दरअसल, रेसलर सुशील कुमार का नाम हत्या जैसे मामले में आना ऐसा कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी पहलवानों और अखाड़ों की अदावतें सामने आती रही हैं.
इसी साल 14 फरवरी को हरियाणा के रोहतक में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था. जहां अखाड़े के विवाद को लेकर छोटूराम स्टेडियम में एक रेसलर ने 5 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. रेसलिंग कोच सुखविंदर ने स्टेडियम के अखाड़े में घुसकर फायरिंग की थी. ठीक इसी तरह कुश्ती की दुनिया में कभी जिले का उभरता हुआ नाम आज जेल की जिंदगी काटने को मजबूर है.
मशहूर पहलवान बनने का सपना संजोए कुशीनगर का सुखदेव कब बाहुबली डीपी यादव की सरपरस्ती में अपराधी बन गया, उसे खुद पता नहीं चला. उसका नाम हत्या जैसे संगीन मामले में आया और उसे सजा मिली. सुप्रीम कोर्ट ने सुखदेव को गाजियाबाद के चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में बीस साल की सजा सुनाई है. एक बाहुबली की सरपरस्ती में कैसे अच्छे खासे शरीफ और जिम्मेदार लोग भी अपराधी बन जाते हैं, सुखदेव पहलवान इसकी बानगीभर है.
कुछ साल पहले की बात है कि हरियाणा में एक सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में भी पहलवान नवीन दलाल का नाम सामने आया था. वही नवीन दलाल जिसने दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के बाहर उमर खालिद पर 2 फायर किए थे. पहलवान नवीन दलाल हरियाणा के मांडोठी गांव का रहने वाला है.
इसी तरह हरियाणा के पहलवान राकेश मलिक पर कत्ल का इल्जाम है. आरोप ये भी है कि पहलवान राकेश मलिक ने कत्ल के मामले में जेल से बाहर निकलने के बाद एक और हत्या का प्रयास किया था. हैरानी की बात ये भी है कि रेसलिंग फेडरेशन के मुखिया ब्रजभूषण शरण सिंह पर खुद कई संगीन इल्जाम लगे हैं.
गैंगस्टर और पहलवानों का नेक्सस 25 साल पहले शुरू हुआ था. जब 1989 में नजफगढ़ के ढिचाऊं और मितराऊं गांव में गैंगवार की शुरुआत कृष्ण पहलवान ने की थी. कृष्ण पहलवान ने 1992 में अपने ही रिश्तेदार रोहतास की हत्या कर दी थी. इस गैंगवार में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इसके पीछे वजह थी वर्चस्व की लड़ाई. कृष्ण पहलवान ढिचाऊं कला का जबकि अनूप बलराज मितराऊं गांव का रहने वाला था. एक प्लॉट को लेकर ये गैंगवार शुरू हुई थी, जो आज भी सुलग रही है.
Report: Parvez Sagar
Creative producer: Rahul Gupta
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