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The Cabinet Of Terrorists

आतंकियों की
कैबिनेट

एक गृहमंत्री जो आतंकियों के नेटवर्क का मुखिया है.

एक रक्षामंत्री जिसके पिता ने तालिबान की नींव रखी.

एक उप विदेश मंत्री जिसने भारतीय सैन्य अकादमी में ट्रेनिंग ली और बाद में तालिबान का राजनयिक बन गया.

मिलिए अफगानिस्तान के नए अधिपतियों से...उस कैबिनेट से जिसमें शामिल हैं दुनिया के कुछ मोस्ट वांटेड टेररिस्ट.

Mawlawi Hibatullah Akhundzada

मौलवी
हिबतुल्लाह
अखुंदजादा

अफगानिस्तान के
सुप्रीम लीडर

मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा

Mawlawi Hibatullah Akhundzada

अफगानिस्तान के सुप्रीम लीडर

इस्लाम के कानूनी विद्वान, मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता हैं. तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला करने का अधिकार अखुंदजादा के पास ही है. साल 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में तत्कालीन सर्वोच्च नेता अख्तर मंसूर की मौत के बाद अखुंदजादा ने तालिबान के लीडर का पदभार ग्रहण किया था. हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने 1996-2001 के दौरान एक वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था. उनके पास शिक्षण का व्यापक अनुभव भी है. वे दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में कुचलक नाम की मस्जिद में पढ़ा चुके हैं. वे लोगों से ज्यादा घुलते-मिलते नहीं हैं और सार्वजनिक उपस्थिति कम ही दर्ज कराते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, अखुंदजादा ने तालिबानी गुटों को जोड़ने में अहम जिम्मेदारी निभाई थी. अल-कायदा के लीडर अयमान अल-जवाहिरी ने तालिबान के लिए कई सालों तक सेवा करने वाले अखुंदजादा की तारीफ की थी. उनकी उम्र करीब 60 साल बताई जाती है.

मोहम्मद
हसन
अखुंद

कार्यवाहक प्रधानमंत्री

मोहम्मद हसन अखुंद

Mohammad Hassan Akhund

कार्यवाहक प्रधानमंत्री

साल 2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमले से पहले तक मोहम्मद हसन अखुंद उप-विदेश मंत्री थे. अखुंद को यूएस केबल्स ने सबसे ज्यादा गैर प्रभावी और अतार्किक तालिबानी लीडर बताया था हालांकि उनके बारे में ये भी कहा गया कि वे तालिबान मूवमेंट के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. फरवरी 2001 में बामियान के बुद्ध की प्रतिमाओं को नष्ट करने की मंजूरी भी अखुंद ने ही दी थी. उसने इसे धार्मिक कर्तव्य बताया था. यूएस केबल्स के मुताबिक, अखुंद के साथ काम करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उसका मिजाज काफी तेजी से बदलता है. UNSC द्वारा जारी की गई आतंकवादियों की सूची में भी अखुंद का नाम है. उप विदेश मंत्री होने से पहले वह कांधार के राज्यपाल रहे और उन्होंने मुल्ला ओमार के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया. कांधार प्रांत के पशमूल गांव में जन्मे 63 साल के अखुंद काकर जनजाति का हिस्सा है.

अब्दुल
गनी
बरादर

उप-प्रधानमंत्री

अब्दुल गनी बरादर

Mohammad Hassan Akhund

उप-प्रधानमंत्री

अब्दुल गनी बरादर तालिबान के राजनीतिक प्रमुख हैं. वे दोहा में तालिबान के मुख्य वार्ताकारों में से एक थे. बरादर तालिबान के सह-संस्थापक भी हैं. साल 2010 में मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडर माने जाने वाले बरादर को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था. साल 2018 में अमेरिका के एक कथित अनुरोध के बाद रिहा कर दिया गया था. उन्हें किसी अमेरिकी राष्ट्रपति से सीधे बात करने वाले पहले तालिबानी नेता के तौर पर भी जाना जाता है. उन्होंने अफगानिस्तान में टकराव समाप्त करने वाले प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से फोन पर बात की थी. बरादर का जन्म उरुजगन प्रांत में हुआ था और उनकी उम्र 52 वर्ष है. वे 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ मुजाहिदीन के तौर पर लड़ाई लड़ चुके हैं.

अमीर
खान
मुत्ताकी

विदेश मंत्री

अमीर खान मुत्ताकी

Amir Khan Muttaqi

विदेश मंत्री

अमीर खान मुत्ताकी पिछले तालिबान शासन में शिक्षा मंत्री थे. वे संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में हुई वार्ता में तालिबान के प्रतिनिधि के तौर पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं. 62 साल के अमीर का जन्म जुरमत जिले के पख्तिया प्रांत में हुआ है. वे सुलेमानखेल जनजाति से ताल्लुक रखते हैं और ज्यादातर समय पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के नजदीक इलाकों से काम किया. साल 2007 में अमीर तालिबान की सर्वोच्च परिषद का हिस्सा थे.

अब्दुल
सलाम
हनाफी

दूसरे कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री

अब्दुल सलाम हनाफी

Abdul Salam Hanafi

दूसरे कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री

अब्दुल सलाम हनाफी पिछले तालिबान राज में उप-शिक्षा मंत्री थे. वे दरजाब जिले के फरयाब प्रांत में पैदा हुए थे. साल 2010 से पहले तक अफगानिस्तान के जॉजन प्रांत में कई गतिविधियों के प्रबंधन की जिम्मेदारी हनाफी की थी. वो इस क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त थे.

मुल्ला
मोहम्मद
याकूब

रक्षा मंत्री

मुल्ला मोहम्मद याकूब

Mullah Mohammad Yaqoob

रक्षा मंत्री

मुल्ला महमूद याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं. वह तालिबान सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए हैं. तालिबान की कमान भविष्य में उनके हाथ में आ सकती है. कहा जाता है कि उन्होंने अपनी कम उम्र का हवाला देते हुए तालिबान के नेता के लिए मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा का नाम आगे कर दिया था. याकूब की उम्र 35 के आस-पास है और उनके पास नेतृत्व के लिए काफी मौके हैं.

सिराजुद्दीन
हक्कानी

गृह मंत्री

सिराजुद्दीन हक्कानी

Sirajuddin  Haqqani

गृह मंत्री

सिराजुद्दीन हक्कानी जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे हैं जो हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख नेता थे. साल 2018 में जलालुद्दीन की मौत हो गई थी. सिराजुद्दीन अब हक्कानी नेटवर्क के चीफ हैं और वे तालिबान के डिप्टी लीडर भी हैं. हक्कानी नेटवर्क एक आतंकी संगठन है जिसे अफगानिस्तानी सेना और नाटो फोर्स के खिलाफ लड़ने वाला सबसे खतरनाक गुट माना जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में हुए सबसे खतरनाक हमलों में शामिल रहा है. पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का असफल प्रयास, भारतीय दूतावास पर हमला, पश्चिमी देशों के नागरिकों का अपहरण जैसे कई अपराधों के पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ रहा है.

हक्कानी नेटवर्क मुख्य रूप से पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति पर फोकस करता है. सिराजुद्दीन की उम्र 50 के आसपास है. सिराजुद्दीन एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट की सूची में शामिल हैं और सिराजुद्दीन के ठिकाने की जानकारी के लिए अमेरिका ने 5 मिलियन डॉलर्स का इनाम रखा है.

शेर मोहम्मद
अब्बास
स्टानिकेजई

उप-विदेश मंत्री

शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकेजई

Sirajuddin  Haqqani

उप-विदेश मंत्री

शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकेजई पिछली तालिबान सरकार में डेप्युटी मिनिस्टर रह चुके हैं. अफगानिस्तान पर अमेरिकी सेना के आक्रमण के बाद शेर मोहम्मद दोहा चले गए और वही रहने लगे. साल 2015 में वे संगठन के प्रमुख बन गए थे. वे अतीत में अफगानिस्तान सरकार के साथ बातचीत कर चुके हैं और कई देशों की राजनयिक यात्राओं में तालिबान का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. साल 1979 से 1982 तक शेर मोहम्मद भारतीय सैन्य अकादमी में थे. भारत-अफगान रक्षा सहयोग कार्यक्रम के तहत वे एक नियमित कैडेट के तौर पर प्रशिक्षण हासिल कर रहे थे.

कारी दीन
हनीफ

वित्त मंत्री

कारी दीन हनीफ

Qari Din Hanif

वित्त मंत्री

कारी दीन हनीफ पहले तालिबान सुप्रीम काउंसिल के सदस्य थे. इसके अलावा वे तालिबान के कतर कार्यालय में वार्ता दल के सदस्य भी थे. उन्होंने पिछले तालिबान राज (1996-2001) में मिनिस्टर ऑफ प्लानिंग और मिनिस्टर ऑफ हायर एजुकेशन के तौर पर काम किया था. बदख्शां प्रांत के यफ्ताली सूफला जिले में पैदा होने वाले हनीफ 66 साल के हैं और तालिबान की पश्तूनों के वर्चस्व वाली लीडरशिप में गिने-चुने गैर-पश्तूनियों में से एक हैं.

कारी
फसीहुद्दीन

सेनाध्यक्ष

कारी फसीहुद्दीन

Qari Fasihuddin

सेनाध्यक्ष

कारी फसीहुद्दीन ने पंजशीर के संघर्ष में हमलों का नेतृत्व किया. ये भी अफवाह फैली थी कि फसीहुद्दीन की इस लड़ाई में मौत हो गई है. हालांकि, तालिबान राज में उन्हें पुरस्कार मिला है और उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया है. बदख्शा के रहने वाले फसीहुद्दीन के बारे में कहा जाता है कि उनके ईटीआईएम (ईस्ट तुर्केस्तान इस्लामिक मूवमेंट) और अंतरराष्ट्रीय जिहादी समूहों के साथ करीबी संबंध है.

ताज
मीर
जवाद

राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के उप मंत्री

ताज मीर जवाद

Taj Mir Jawad

राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के उप मंत्री

ताज मीर जवाद को 'काबुल अटैक ग्रुप' नाम के एक संगठन को स्थापित करने के लिए जाना जाता है. इस संगठन में अल-कायदा, हक्कानी नेटवर्क जैसे समूहों के सैकड़ों सदस्य शामिल हैं. काबुल अटैक ग्रुप मुख्य रूप से काबुल शहर के आसपास संचालित होता है. ये नेटवर्क ज्यादातर अमेरिका सेना की टुकड़ी के सदस्यों पर हमले और अपहरण के लिए कुख्यात रहा है. इसके अलावा ये ग्रुप काबुल के कई हाई-प्रोफाइल समारोह पर अटैक के लिए भी जिम्मेदार रहा है. ताज मीर सिराजुद्दीन हक्कानी का भी प्रबल समर्थक है.

अब्दुल
हक
वासिक

खुफिया मंत्री

अब्दुल हक वासिक

>Abdul Haq Wasiq

खुफिया मंत्री

तालिबान के पिछले कार्यकाल में अब्दुल हक ने अल-कायदा के लड़ाकों के साथ बेहतर संबंध बनने और अफगानिस्तान में उनके ट्रेनिंग कैंप को मॉनीटर करने का काम किया था. वो इससे पहले तालिबान के खुफिया अधिकारी भी रह चुके हैं. यूएस केबल्स के मुताबिक, अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के साथ गठबंधन करने के तालिबानी प्रयासों में अब्दुल हक की अहम भूमिका थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, अब्दुल ने तालिबान की खुफिया एजेंसी से जुड़े स्टाफ को प्रशिक्षण के लिए अल-कायदा के एक शख्स को भी बुलाया था. अब्दुल हक मुख्य रूप से खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और अन्य आतंकवादी समूहों के साथ संपर्क करने में माहिर था.

फजल
मज़लूम

उप रक्षा मंत्री

फजल मज़लूम

Fazel Mazloom

उप रक्षा मंत्री

नवंबर 2001 में पकड़े जाने से पहले तक फजल मजलूम तालिबान के सबसे अनुभवी कमांडर में से एक था. नूरी की तरह ही फजल का नाम भी संयुक्त राष्ट्र की वॉन्टेड लिस्ट में शुमार है. 'वॉर क्रिमिनल' फजल पर हजारों शिया को मारने का आरोप है. फजल अल-कायदा, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन और हरकत-ए-इंकलाब-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से जुड़ा रहा है. फजल अपनी नजरबंदी से पहले तक अफगानिस्तान के उत्तरी इलाकों में काफी प्रभाव छोड़ चुका था और उसे पकड़े जाने के बाद भी ये प्रभाव बढ़ता रहा. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फजल के नाम का इस्तेमाल तालिबान द्वारा भर्ती अभियानों में किया जाता रहा है.

अब्दुल
मन्नान
ओमारी

लोक निर्माण मंत्री

अब्दुल मन्नान ओमारी

Abdul  Mannan  Omari

लोक निर्माण मंत्री

अब्दुल मन्नान ओमारी, मुल्ला उमर के सौतेले भाई और मुल्ला मोहम्मद याकूब के चाचा हैं. वे कतर कार्यालय में वार्ता दल के महत्वपूर्ण सदस्यों में शुमार थे. वे अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत से आते हैं. साल 2016 में, उन्हें धार्मिक मामलों के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था.

खलीलुर
रहमान
हक्कानी

शरणार्थी मामलों के मंत्री

खलीलुर रहमान हक्कानी

Khalilur Rehman Haqqani

शरणार्थी मामलों के मंत्री

खलीलुर रहमान हक्कानी स्वर्गीय जलालुद्दीन हक्कानी के भाई और सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा हैं. एक वैश्विक आतंकवादी होने के साथ ही खलीलुर के अल-कायदा से भी करीबी संबंध हैं. यूएस केबल्स के मुताबिक, उसने कई मौकों पर अल-कायदा के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली है. कुछ दस्तावेजों से भी ये संकेत मिला है कि खलीलुर ने हक्कानी नेटवर्क के लिए फंड जुटाने, फाइनेंस और ऑपरेशनल कमांडर के तौर पर भी काम किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, खलीलुर पाकिस्तान, सउदी अरब, ईरान और चीन में मौजूद अपने सूत्रों के द्वारा फंड्स जुटाए हैं.

जबीउल्लाह
मुजाहिद

सूचना मंत्रालय में उप मंत्री

जबीउल्लाह मुजाहिद

Zabiullah Mujahid

सूचना मंत्रालय में उप मंत्री

जबीउल्लाह मुजाहिद 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' के आधिकारिक प्रवक्ता हैं. वे पिछले कई सालों से तालिबान के प्रवक्ता रहे हैं. युसूफ अहमदी और सुहैल शाहीन भी तालिबानी प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं. मुजाहिद अक्सर मुख्य रूप से पूर्वी, उत्तरी और मध्य अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों पर टिप्पणी करते हैं. वहीं, अहमदी का फोकस पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों पर रहता है. तालिबान के प्रवक्ता के रूप में मुजाहिद, इस संगठन के संदेश को अफगान और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाने का काम करते हैं. अफगानिस्तान में होने वाले हमलों में संलिप्तता की पुष्टि करने या खंडन करना भी मुजाहिद की जिम्मेदारी होती है. मुजाहिद ने अपने अकाउंट पर कई ऐसे वीडियो शेयर किए हैं जिनमें तालिबान की गतिविधियों को देखा जा सकता है.

मुल्ला
खैरुल्लाह
खैरख्वा

सूचना मंत्री

मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वा

Mullah Khairullah Khairkhah

सूचना मंत्री

अमेरिका पर 9/11 हमले से पहले तक खैरुल्लाह मुल्ला उमर के सबसे करीबी विश्वासपात्रों में से था. लॉन्गवॉर जर्नल और यूएस केबल्स के मुताबिक, खैरुल्लाह ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था. वो अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत का गर्वनर भी था. खैरुल्लाह के दस्तावेजों से पता चलता है कि वो एक प्रमुख मादक पदार्थ तस्कर था.

मुल्ला
नूरुल्लाह
नूरी

जनजातीय मामलों के मंत्री

मुल्ला नूरुल्लाह नूरी

Mullah Noorullah Noori

जनजातीय मामलों के मंत्री

अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले से पहले मुल्ला नूरुल्ला नूरी तालिबान के वरिष्ठ सैन्य कमांडर थे. इस हमले के बाद वे अमेरिका के खिलाफ काम करने में जुट गए थे. हजारों शिया मुस्लिमों की हत्या समेत संभावित युद्ध अपराधों के चलते संयुक्त राष्ट्र ने नूरी को वॉर क्रिमिनल घोषित किया है.

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Reporter: Saikiran Kannan

Photo researcher: Nishwan Rasool

UI developer: Ravi Prakash Jha, Mohd. Naeem Khan