व्यस्त रहने के कारण और जीवन की परेशानियों के बीच लोग हंसना-मुस्कुराना और खिलखिलाना कम कर देते हैं. जिसकी वजह से मानसिक तनाव का शिकार भी हो जाते हैं. मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए हंसना जरूरी है, ऐसे में माइंड और मूड फ्रेश करने के लिए आप मजेदार चुटकुले पढ़ सकते हैं.
कानपुर स्टाइल-
टीचर - काहे बे… कल स्कूल काहे नहीं आए?
छात्र- काहे… कल जौ आये रहें… उनका कलेक्टर बना दिए हो का…
पति- क्या कहा, अब तक खाना तैयार नहीं हुआ? तो मैं चला होटल में खाना खाने.
पत्नी- आधे घंटे ठहर जाइए ना.
पति- तो क्या तुम आधे घंटे में भोजन तैयार कर लोगी?
पत्नी- नहीं जी, तब तक मैं भी आपके साथ चलने के लिए तैयार हो जाती.
टीचर- टेबल पर चाय किसने गिराई? इसे अपनी मातृभाषा में बोलो.
छात्र- मातृभाषा मतलब मम्मी की भाषा में?
टीचर- हां.
छात्र- कौन मर गया यहां पर, अभी की अभी पोंछा ला और साफ कर.
टीचर बेहोश.
टीचर- बताओ बच्चों वास्कोडिगामा भारत कब आया?
टिल्लू- जी सर्दियों में.
टीचर- किसने कहा?
टिल्लू- टीचर आपकी कसम...मैंने बुक में फोटो देखी थी, उसने कोट पहन रखा था.
टीचर ने पकड़ लिया माथा..
टिंकू ने चिड़ियाघर में नौकरी कर ली…
उसने शेर के पिंजरे को ताला नहीं लगाया.
अफसर- टिंकू तुमने शेर के पिंजरे को ताला क्यों नहीं लगाया?
टिंकू- क्या जरूरत है...इतने खतरनाक जानवर को कौन चुराएगा?
टिंकू को धक्के मारकर निकाला गया बाहर!
जेलर- कल तुम्हें फांसी होगी...बताओ तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है?
कैदी- मैं तरबूज खाना चाहता हूं
जेलर- लेकिन ये तरबूज का मौसम नहीं है.
कैदी- कोई बात नहीं, मैं इंतजार कर लूंगा...
मोनू- मेरे कान का ऑपरेशन हो गया है, डॉक्टर ने नया कान लगा दिया है.
सोनू- वाह ! हैप्पी न्यू ईयर.
(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं है.)