> भिखारी- साहब 10 रुपये दे दो कुछ खा लूंगा.
साहब- शर्म नहीं आती तुम्हें, सड़क पर खड़े होकर भीख मांगते हो.
भिखारी- तो क्या दफ्तर खोल लूं?
> महिला कैशियर- मुझे कुछ दिन की छुट्टी चाहिए,
क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी सुन्दरता कुछ कम हो गई है.
बैंक मैनेजर- क्या मतलब ?
महिला कैशियर- पुरूषों ने पैसे गिनकर लेने शुरू कर दिया है.
> बच्चा- मम्मी क्या मैं भगवान की तरह दिखता हूं?
मम्मी- नहीं, पर तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो बेटा?
बच्चा- क्योंकि मम्मी मैं कहीं भी जाता हूं, तो.
सब यही कहते हैं 'हे भगवान फिर आ गया.
> महिला- कौन ज्यादा संतुष्ट है, जिसके पास दस बच्चे हैं,
या फिर जिसके पास दस लाख रुपये हैं?
पुरुष- जिसके पास दस बच्चे हैं.
महिला- वह कैसे?
पुरुष- जिसके दस बच्चे हैं, वह और अधिक नहीं चाहता,
जबकि जिसके पास दस लाख रुपये हैं, वह और ज्यादा चाहता है.
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> टीचर- कल होमवर्क नहीं किया तो मुर्गा बनाऊंगा.
चंटू- सर मुर्गा तो मैं नहीं खाता,
आप चाहो तो मटर पनीर बना लेना
चंटू का जवाब सुनकर मास्टर जी ने कल के बजाए उसे आज ही मुर्गा बना दिया.
> मम्मी- पेपर कैसा था?
बेटा- पतला सा था, सफेद रंग का.
मम्मी- मेरा मतलब है कि पेपर कैसा हुआ?
बेटा- फिफ्टी- फिफ्टी.
मम्मी- मैं समझी नहीं?
बेटा- जो पेपर में लिखा था वह मेरी समझ में नहीं आया.
लेकिन मैंने जो कॉपी में लिखा है, वह जांचने वाले की समझ में नहीं आएगा.
> बस स्टैंड पर खड़ी पड़ोस की लड़की से फिल्मी स्टाइल में गोलू बोला...
गोलू- प...प...प...प्रिया...तेरी आंखों में मुझे मेरी पत्नी नजर आ रही है...
लड़की- थप्पड़ लगाकर बोली...सूरत देखी है?
गोलू- नहीं, बस एक बार अहमदाबाद तक गया हूं.
> भिखारी- भगवान के नाम पर कुछ दे दो.
लड़की- कुछ नहीं है बाबा, माफ करो.
भिखारी- कुछ नहीं तो अपना मोबाइल नंबर ही दे दो, बाबा दुआ भी करेगा और मैसेज भी.
> एक बच्चे ने दूसरे बच्चे से पूछा- क्या तुम चीनी भाषा पढ़ सकते हो?
दूसरे बच्चे ने कहा- हां.
पहला बच्चा- कैसे?
दूसरा बच्चा- अगर वो हिंदी या अंग्रेजी में लिखी हो तो.
> भिखारी- एक अदमी मुझसे पूछ रहा था कि मैं कितना कमा लेता हूं,
लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोला और चुप रहा.
दूसरा भिखारी- ऐसा क्यों?
भिखारी- मुझे शक था कि कहीं ये इनकम टैक्स वाला तो नहीं है.
(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं.)