मास्टर जी – बताओ, कुतुबमीनार कहां है?
चिंटू – पता नहीं
मास्टर जी – फिर बेंच पर खड़े हो जाओ
चिंटू बेंच पर खड़ा हो जाता है और कुछ देर बाद कहता है, मास्टर जी यहां से भी नहीं दिख रहा है.
पूरे क्लास में छा गई शांति!
मास्टर जी – एक तरफ पैसा और दूसरी तरफ अक्ल… बताओ चिंटू तुम क्या चुनोगे?
चिंटू – पैसा
मास्टर जी – गलत, मैं तो अक्ल चुनता
चिंटू – आपकी बात भी सही है, क्योंकि जिसके पास जो चीज नहीं होगी, वो वही चुनेगा...
मास्टर जी – चिंटू, अपने पापा का नाम अंग्रेजी में बताओ
चिंटू – ब्यूटिफुल रेड अंडरवियर
मास्टर जी – नालायक हिंदी में बताओ
चिंटू – सुंदर लाल चड्ढा
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चिंटू ने पापा को अपना रिजल्ट दिखाते हुए कहा – पापा आप बहुत किस्मत वाले हैं
पापा – वो कैसे?
चिंटू – क्योंकि, मैं फेल हो गया हूं अब आपको मेरे लिए नई किताबें नहीं खरीदनी पड़ेंगी...
अध्यापक ने पढ़ाते हुए प्रश्न पूछा – कौन-सा हाथ लिखने के लिए सबसे अच्छा होता है?
एक छात्र ने उत्तर दिया – कोई सा भी नहीं, क्योंकि हम पेन से लिखते हैं.
मास्टर जी- “खुशी का ठिकाना न रहा” कोई इस मुहावरे का अर्थ बताओ?
चिंटू – खुशी घर वालों से छिपकर, हर रोज अपने दोस्त से मिलने जाती थी.
फिर एक दिन उसके पापा ने उसे देख लिया और खुशी को घर से निकाल दिया.
अब बेचारी “खुशी का ठिकाना न रहा”
यह जवाब सुनकर मास्टर जी अभी तक बेहोश ही हैं.
मम्मी – नया घर बनने में अभी 6 महीने और लगेंगे
पापा – अरे नहीं, मैं चार आदमी और लगा दूंगा, तो घर जल्दी बन जाएगा.
तभी चिंटू अचानक कुछ सोचते हुए गंभीर होकर पूछता है, अच्छा मम्मी मैं कितने दिनों में पैदा हुआ था?
मम्मी – 9 महीने में, क्यों?
चिंटू – अरे, तो चार आदमी और लगा लेती न, तो मैं जल्दी से पैदा हो जाता
उसके बाद से पापा-मम्मी मिलकर चिंटू को ढूंढ रहे हैं...
(डिस्क्लेमरः इस सेक्शन के लिए चुटकुले वॉट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर हो रहे पॉपुलर कंटेंट से लिए गए हैं. इनका मकसद सिर्फ लोगों को थोड़ा गुदगुदाना है. किसी जाति, धर्म, मत, नस्ल, रंग या लिंग के आधार पर किसी का उपहास उड़ाना, उसे नीचा दिखाना या उसपर टीका-टिप्पणी करना हमारा उद्देश्य कतई नहीं है.)