महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के आरे फॉरेस्ट इलाके में मेट्रो कार शेड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरे फॉरेस्ट में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 84 पेड़ काटे जाने की योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आरे फॉरेस्ट में पेड़ काटे जाने और मेट्रो कार शेड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आरे फॉरेस्ट इलाके में पेड़ काटे जाने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से 84 पेड़ काटने की इजाजत मांगी. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने आरे मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट का नक्शा भी सुप्रीम कोर्ट में पेश किया.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस परियोजना की अनुमानित लागत 23 हजार करोड़ रुपये थी. हम पहले ही 22 हजार करोड़ रुपये इस परियोजना में निवेश कर चुके हैं. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि मुकदमेबाजी की वजह से हुई देरी के कारण लागत बढ़कर अब 37 हजार करोड़ रुपये हो गई है. उन्होंने कोर्ट को ये भी बताया कि आरे मेट्रो कार शेड का निर्माण पूरा हो जाने के बाद कार्बन उत्सर्जन कम होगा और इससे भी बहुत प्रभाव पड़ेगा.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मेट्रो ट्रैक होने पर वाहनों के आवागमन में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि 84 पेड़ काटने के बाद इस परियोजना का 95 फीसदी कार्य पूरा हो जाएगा. इस परियोजना को अगर 84 पेड़ की वजह से परियोजना का कार्य रोक दिया जाता है तो इससे जनता के बीच भी गलत संदेश जाएगा.
सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट में ये भी कहा कि जो पेड़ काटे जाने हैं, उन्हें या तो ट्रांसपोर्ट किया जाएगा या फिर नए पेड़ लगाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना का कार्य काफी आगे बढ़ जाने की दलील मानते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि मुंबई मेट्रो ट्री अथॉरिटी के पास पेड़ों की कटाई की मंजूरी के लिए अर्जी लगाएं. पेड़ों की कटाई ट्री अथॉरिटी की अनुमति के अधीन होगी.